यू तो आपने सुना होगा कि तमिलनाडु राज्य की राजधानी चिनाई में पुलिस में अफ़सर और कॉन्स्टेबल ऑडो पर किन्नर यानी ट्रांसजेंद्ररो को देश में सबसे पहले नौकरी मिली, मगर ये सच नही है की सब से पहले तमिल नाडु पुलिस में ट्रांसजेंद्रर भर्ती हुई है, भारत की पहली पुलिस की नौकरी राजस्थान के जालोर ज़िले की ट्रांसजेंद्रर गंगा कुमारी की है।
गंगा कुमारी को राजस्थान की पहली 'ट्रांसजेंडर' कॉन्स्टेबल होने का गर्व है। लेकिन उनकी खुशी आधी-अधूरी है, क्योंकि चयन के दो साल बाद भी उन्हें अब तक कहीं तैनात नहीं किया गया है।
उनके गृह जिले जालोर में उनके साथ भर्ती हुए 208 में से उनको छोड़कर सबकी पोस्टिंग दिसंबर 2015 में हो चुकी है। उन्होंने 2014 में कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा पास की और 2015 में इंटरव्यू और फिटनेस टेस्ट पास किए थे।
कोई जवाब नहीं
गंगा ने फोन पर बीबीसी को बताया, "पुलिस विभाग से लेकर मुख्य सचिव और दूसरे आला अफसरों को अपनी पोस्टिंग के लिए गुहार लगा चुकी हूँ। कोई राहत नहीं मिलने पर गत दिसंबर में राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।" अदालत ने सरकार को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया था। तीन महीने बीत जाने पर भी कोई जवाब नहीं मिला है। गंगा का कहना है- "पोस्टिंग के लिए मना तो नहीं किया जा रहा। कहते हैं मिलेगी जरूर, मगर कब, इसका जवाब कोई नहीं देता।" रानीवाड़ा गाँव की 24 बरस की गंगा छह भाई बहिनों में सबसे छोटी हैं और वे स्नातक हैं।
अपनी पोस्टिंग का इंतजार करते हुए वे फिलहाल अपने भाई की फार्मेसी पर उनकी मदद करती हैं। वो खुद को खुश किस्मत मानती हैं कि ट्रांसजेंडर होने के बावजूद उन्हें परिवार, गाँव या समाज में कभी कोई परेशानी या भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा। यह पहला मौका है जब उन्हें परीक्षा और इंटरव्यू पास पर लेने के बावजूद पोस्टिंग के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। उनके वकील तेजाराम ने बताया, "हमने हाई कोर्ट से गंगा को जल्दी से जल्दी नियुक्ति और भर्ती हुए अन्य लोगों की ही तरह सारे लाभ देने की अपील की है।" नए ट्रांसजेंडर कानून के तहत सभी किन्नरों को अपनी भावना के हिसाब से खुद को "पुरुष या स्त्री" श्रेणी में रखने की छूट है।
Some inputs from: बीबीसी हिंदी।
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