अदालती आदेश के बावजूद ट्रांसजेंडर समुदाय को नियुक्तियों में लाभ न दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका तमिलनाडु की रहने वाली एक ट्रांसजेंडर शान्वी पोन्नूस्वामी की ओर से दायर की गई है।
याचिकाकर्ता 28 वर्षीय ट्रांसजेंडर का कहना है कि एयर इंडिया ने गत जुलाई में 400 महिला केबिन क्रू की भर्ती के लिए आवेदन निकाला था। लेकिन महिला न होने के कारण उसका चयन नहीं हुआ। ट्रांसजेंडर होने के कारण उसे नौकरी देने से इनकार कर दिया गया।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सोमवार को ट्रांसजेंडर की याचिका पर नागर विमानन मंत्रालय और एयर इंडिया को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्ते में इस संबंध में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने पुरुष और महिला साथ-साथ ट्रांसजेंडर की अलग श्रेणी (तृतीय )बनाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि यह सामाजिक या चिकित्सकीय मामला नहीं है बल्कि यह मानवाधिकार का मामला है।
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर के लिए तीसरी श्रेणी बनाने का आदेश दिया था लेकिन इस आदेश की लगातार अनदेखी की जा रही है। दरअसल याचिकाकर्ता शान्वी पोन्नूस्वामी ने पहले सदरलैंड व एयर इंडिया में कस्टमर सपोर्ट में काम किया है और इसी दौरान उसने अपनी सर्जरी करा ली थी।
याचिका में कहा गया है कि इस संबंध में उसने मंत्रालय समेत प्रधानमंत्री को भी ज्ञापन दिया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता के मुताबिक, उसने चार बार केबिन क्रू के लिए कोशिश की लेकिन उसका नाम लिस्ट में नहीं आया।
इस लेख को अंग्रेज़ी भाषा में पड़े।
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