ट्रांसजेंडर लोगों को होमोसेक्सुअलिटी के कानून में छूट मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।आईपीसी की धारा-377 के अनुसार भारत में होमोसेक्सुअलिटी कानून अपराध है। सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में होमोसेक्सुअलिटी का मामला काफी लंबे समय से लटका पड़ा है, लेकिन सरकार नहीं इस संवेदनशील मुद्दे को छेड़ना नहीं चाहती है।
ट्रांसजेंडर समुदाय पर संसदीय कमेटी ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में कहा गया कि धारा-377 के कारण ट्रांसजेंडर लोगों में अपराध के रिस्क को बढ़ता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बिल ट्रांसजेंडर लोगों को बहुत ही कम अधिकार देता है। उन्हें अपने पार्टनर और शादी तक के अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं।
हालांकि, सरकार का मूड अभी इस मुद्दे को छेड़ने का नहीं है। सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय जल्द ही इस कानून पर अंतिम फैसला लेने के लिए चर्चा कर सकता है। बता दें कि यह बिल लंबे समय से लोकसभा में लंबित पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि धारा-377 का मुद्दा उप न्यायिक है।
बता दें कि आईपीसी की धारा-377 के तहत 2 लोग आपसी सहमति या असहमति से अननैचुरल संबंध बनाते है और इस मामले में दोषी पाए जाते हैं तो उनको 10 साल की सजा से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है। यह अपराध संजेय अपराध की श्रेणी में आता है और गैरजमानती है।
शुक्रिया: अभिषेक मिश्रा
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